Thursday 14 April 2011

एहसास


मुझे पता न था, कि हम इतने सताये होगे;
कल जो अपने थे, वही लोग पराये होगे।
जिन्दगी सिखा ही देती है, जीने का अदब;
क्या पता हमने, कितने गम-खाये होगे।

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया!
    लगता है गहरी चोट खाए हो!

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  2. सार्थक और भावप्रवण रचना।

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