Sunday 24 April 2011

तेरे जाने के बाद


हो तेरा साथ! है ये एहसास, तेरे जाने के बाद,
जिन्दगी मेरी होती है उदास, तेरे जाने के बाद
मौसमो का रंग भी तो अछ्छा लगे,
जिन्दगी बदरंग यूँ होती है, तेरे जाने के बाद

जिंदगी यूँ भी है हौसलों का सफ़र,
की मै इंतज़ार करू मौत के भी आने के बाद
और महसूस कर सकूँ मै पास ही तुझको,
य़ू मुझसे तेरे दूर भी चले जाने के बाद

मै जी रहा हूँ फ़िरसे मिलने कि उम्मीद मे अब,
जिन्दगी फ़िर से मिले तुझसे मिलने के बाद
एक पल का लगे है, ये बरसो का सफ़र,
बरसो एक पल मे जी लूँ तुझसे मिलने के बाद

अब अँधेरो का सफ़र खत्म हुआ लगता है,
रोशनी दूर से मिलि तेरी एक नज़र के बाद
देरअब तो यूँ करो भी तुम,
की नज़र हो जिन्दगी तेरी एक नज़र के बाद

5 comments:

  1. तेरा साथ हो ये एहसास, तेरे जाने के बाद,
    इस पंक्ति का आशय स्पष्ट नही है!
    --
    मुझको हुआ ये एहसास, तेरे जाने के बाद,
    ठीक रहेगा
    --
    रचना अच्छी है!

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  2. मैने कुछ बदलाव किया है, उस पक्ति मे.
    उम्मीद है, अब ये सही सही कह पा रहे है, जो मै कहना चाहता हूँ.

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  3. भाव और अभिव्यक्ति अच्छी है.. कविता में लयात्मकता और गति है.. टाइपिंग की त्रुटि अवरोध उत्पन्न करती है.. पोस्ट करने से पहले दोहरा लें!!

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  4. जिंदगी यूँ भी है हौसलों का सफ़र,
    की मै इंतज़ार करू मौत के भी आने के बाद।
    There is no two opinion that life is a journey of challenges, but feeling could not be clear with "की मै इंतज़ार करू मौत के भी आने के बाद।" Either the poet wants to wait even after the arrival of death, or wants to wait even when he has left this world.

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  5. बहुत ही सुन्दर और नाजुक भाव समेटे हुए
    ये खूबसूरत कविता
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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