घर की बिखरी हुई वस्तुएं ।
मै समेटना चाहता हूँ जिन्हें,
की वो अपने पूर्ण सौंदर्य में हों।
मेरे हृदय अंतस्थल पर बिखरी हुई ,
उसके साथ बिताये पल की यादें।
मैं संजोना चाहता हूँ जिन्हें,
कि मैं उस पल को पूरी तरह जी सकूँ।
उसके आने का दिन !
मैंने सहेजा है घर में बिखरी वस्तुएं ।
इस एहसास के साथ कि उसके आने से ,
फिर से जीवन होंगे उसके साथ बिताये पल के अनुभव ।
मैं संजो लूँगा उसके साथ बिताये पल को।
आह! ये इंतज़ार बरसों का लगता है।
अब बस वो आ जाए !
मै समेटना चाहता हूँ जिन्हें,
की वो अपने पूर्ण सौंदर्य में हों।
मेरे हृदय अंतस्थल पर बिखरी हुई ,
उसके साथ बिताये पल की यादें।
मैं संजोना चाहता हूँ जिन्हें,
कि मैं उस पल को पूरी तरह जी सकूँ।
उसके आने का दिन !
मैंने सहेजा है घर में बिखरी वस्तुएं ।
इस एहसास के साथ कि उसके आने से ,
फिर से जीवन होंगे उसके साथ बिताये पल के अनुभव ।
मैं संजो लूँगा उसके साथ बिताये पल को।
आह! ये इंतज़ार बरसों का लगता है।
अब बस वो आ जाए !
kya baat hai sir ji,.,.,. waise kiska intzaar ho raha hai,.,. :)
ReplyDeletenice
ReplyDeleteअपना गम लेके कहीं और न जाया जाए,
ReplyDeleteघर में बिखरी हुयी चीज़ों को सजाया जाए!!
सुमन जी आपका आभार!
ReplyDeleteसलिल जी आपने बहुत खूब कहा.
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteलिखते रहो, सुधार और निखार आता जाएगा!
soooooooooooo beautiful
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteलिखते रहो, सुधार और निखार आता जाएगा!
बहुत बढ़िया!
ReplyDelete