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मुझे पता न था, कि हम इतने सताये होगे;
कल जो अपने थे, वही लोग पराये होगे।
जिन्दगी सिखा ही देती है, जीने का अदब;
क्या पता हमने, कितने गम-खाये होगे।
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteलगता है गहरी चोट खाए हो!
सार्थक और भावप्रवण रचना।
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