अपने दिल का हर दर्द बड़ा होता है;
दूसरे का हो, तो पराया होता है।
कहते हैं, कोई कन्धा नहीं है रोने को;
क्या हमने भी साथ निभाया होता है।
दूसरे का हो, तो पराया होता है।
कहते हैं, कोई कन्धा नहीं है रोने को;
क्या हमने भी साथ निभाया होता है।
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
छोटी-छोटी और भा से ओत्प्रोत कविताए पसन्द आई.
ReplyDeleteमुसाफिर का यह कविता का सफर अनवरत जारी रहे.
बस आपका आशिर्वाद साथ रहे, सब थीक रहेगा
ReplyDeleteबढ़िया मुक्तक है।
ReplyDeleteलिखते-लिखते निखार आता जाएगा!