Sunday 25 September 2011

मैं तुमसे अलग!


शाखों से अलग पत्ते,
हवा के हल्के झोंके से दूर चले जाते हैं
मैं तुमसे अलग,
इतना जड़ कैसे हूँ

जंगल में पेड़ से अलग सूखे पत्ते,
यूँ ही जल जाते हैं
मैं तुमसे अलग ,
अब तक जला क्यों नहीं

समंदर से अलग हुई लहर,
अपना अस्तित्व खो देती है
मैं तुमसे अलग,
खुद का होना सोचूँ कैसे

Wednesday 14 September 2011

तुम सुगंध हो मेरी


तुम सुगंध हो मेरी
मैं पवन हूँ तेरा
मिल तू जाए अगर
तो ये जीवन मेरा ।

चाँद को चाहिए
चाँदनी, और क्या
तू नहीं है तो फिर
क्या ये जीवन मेरा

है मेरे जो नयन
अश्रु पूरित यहाँ
मन में मेरे जो है
बस वो चेहरा तेरा

शाम की रोशनी
मुझको अच्छी लगे
पास तू है नहीं
सुबह का उजाला तेरा

आश दिल में मगर
है एक बाकी अभी
वो बन के आये
सुबह का जाला मेरा

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र  रास्तों के काँटे अपने  अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...