Friday, 23 March 2012
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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे , जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे। तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से ,...
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हम इंसान है हमारी सोच हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है बचपन से लेकर अब तक की सारी बातों पर हम सोच और विचार के...
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वो मुझ से मेरे होने का सबब पूछता है, मैं उस को ज़िंदगी के मायने समझा रहा हूँ। वो मुझसे उलझ गया है कई सवालों पर, मैं, प्यार का उस को इक एहसा...
वाह ...बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार.
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नवरात्र की बधाइयाँ.
Deleteचर्चा मंच के माध्यम से लोगों तक इस रचना को पहुँचाने के लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ.
अच्छी प्रस्तुति...
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