Monday 23 May 2016

चलती फिरती लाशें

चारों ओर
चलती फिरती लाशें 
देखता हूँ
टटोलता हूँ खुद को
मैं उन में से एक तो नहीं

फिर झिझोड़ता हूँ 
लाशों कों
कि जान बाकी हो
कि जान नहीं होता
हाड़ माँस का लाश

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