मैं पतंग तूँ मुझको उड़ाये;
दूर मुझे ले जायें हवाएं।
प्रेम डोर से तुझसे जुड़ी मै;
सोचूँ कब वापस तूँ बुलाये।
मैं जो तुझसे मिलना चाहूँ;
डोर तूँ ख़ीचे बस यही उपाय।
डोर कहीं कट जाए अगर तो;
वक़्त के झोकें दूर ले जायें।
तेरे एक इशारे पर मैं;
इठलाउँ इतराउँ हाय!
दूर मैं तुझसे हवा से लड़ती;
दर्द मेरा कोई समझ न पाये।
दूर मुझे ले जायें हवाएं।
प्रेम डोर से तुझसे जुड़ी मै;
सोचूँ कब वापस तूँ बुलाये।
मैं जो तुझसे मिलना चाहूँ;
डोर तूँ ख़ीचे बस यही उपाय।
डोर कहीं कट जाए अगर तो;
वक़्त के झोकें दूर ले जायें।
तेरे एक इशारे पर मैं;
इठलाउँ इतराउँ हाय!
दूर मैं तुझसे हवा से लड़ती;
दर्द मेरा कोई समझ न पाये।