Wednesday, 3 October 2012
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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे , जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे। तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से ,...
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हम इंसान है हमारी सोच हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है बचपन से लेकर अब तक की सारी बातों पर हम सोच और विचार के...
आभार!!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति... सुप्रभात!
ReplyDeleteआभार!!!
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteसहृदय आभार!!!
Deleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteआभार!!!
Deleteएकदम सही..
ReplyDeleteअति उत्तम रचना..
:-)
जी बहुत बहुत आभार!!!
Deleteबिलकुल सही फ़रमाया आपने .
ReplyDeleteसहृदय आभार!!!!
Deleteमेरी रचना ज्यादे लोगों तक पहुँचाने के लिए आपका आभार !!!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने | आभार |
ReplyDeleteनई पोस्ट:- ओ कलम !!
बहुत बहुत आभार !!!
Deleteसत्य हा आदमी आदमी को कहां पहचान रहा है.. http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
ReplyDeleteसहृदय आभार !!!!
Deleteबेहद सुन्दर रचना....
ReplyDeleteश्री प्रकाश जी आपका सहृदय आभार !!!
Deleteहौसला अफजाई के लिए शुक्रिया.
प्रणाम!
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसहृदय आभार !!!
Deleteप्रणाम!