Saturday, 13 October 2012
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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे , जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे। तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से ,...
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हम इंसान है हमारी सोच हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है बचपन से लेकर अब तक की सारी बातों पर हम सोच और विचार के...
बेशक ग्राहक सेवा प्रदाता का चेहरा भी खाता है सिर्फ बाल कटवाने नहीं जाता है .
ReplyDeleteजी बिलकुल
Deleteबढ़िया है |
ReplyDeleteआभार सुन्दर -
प्रस्तुति के लिए ||
आपका सहृदय आभार!!!
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें.
ग्यानेंद्र भाई !जैसे ही पोस्ट करके हटा देखा नेट महोदय रफूचक्कर .ऐसे गए जैसे गधे के सर से सींग .अब रात नौ बजे लौटें हैं .आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया .
ReplyDeleteआदाब .
वीरुभाई .
वैसे वहां सब बोलते हैं...
ReplyDeleteजी ऐसा भी हो सकता है!!!
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