समाज की गहरी मानसिकता को उभारती,
और गहरे से एक दूसरे से गूँथती
कविता जो हृदय पर उकेर देती है
सजीव भावनाओं के चित्र
भर देती है उमंग से
साहस से लबरेज़ करती कविता
जीवन के कठिनाइयों से शतर्क करती कविता
कविता जो कहती है हार मत मानना
लड़ते रहना विषमताओं से
कि बाँधा सको हिम्मत
आने वाले कल में
क्यों की मानव की खाल ओढ़े
जानवर आज भी हैं
कल भी होंगे।
और गहरे से एक दूसरे से गूँथती
कविता जो हृदय पर उकेर देती है
सजीव भावनाओं के चित्र
भर देती है उमंग से
साहस से लबरेज़ करती कविता
जीवन के कठिनाइयों से शतर्क करती कविता
कविता जो कहती है हार मत मानना
लड़ते रहना विषमताओं से
कि बाँधा सको हिम्मत
आने वाले कल में
क्यों की मानव की खाल ओढ़े
जानवर आज भी हैं
कल भी होंगे।
सुन्दर व सार्थक रचना ..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
आभार!!!
Deleteउम्दा रचना
ReplyDeleteआभार!!!
Deleteआभार!!!
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