गम की धूप, छाँव खुशी की मिली होती;
थोड़ा आसमान थोड़ी ज़मीन मिली होती.
कहाँ माँगता हूँ,चाँद मिले आँचल में;
चाहतें थी थोड़ी रोशनी मिली होती.
दौड़ता भागता रहा जिंदगी के लिए;
दौड़ते भागते ही जिंदगी मिली होती.
तुम से बेहतर यक़ीनन कोई ख़याल न था;
हक़ीकत में भी अगर तुम कहीं मिली होती.
अमीरी भी 'मुसाफिर' को मिल गयी होती;
मुसाफ़िरी जो कहीं फकीरों की मिली होती.
बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
ReplyDeleteपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
देर से सही, आपको भी होली की बधाई.
Deleteअपने ब्लॉग का लिंक दे कृपया|
bhai waah ... thodi si roshni ki chaah liye .. lajawaab sher sabhi ...
ReplyDeleteप्रणाम!
Deleteबहुत बहुत आभार !!!
अभिवादन सहृदय आभार !!!
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