Sunday 3 July 2011

सोच के डब्बे


हम इंसान है
हमारी सोच
हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है
बचपन से लेकर अब तक की
सारी बातों पर
हम सोच और विचार के डब्बों में बंद होते हैं
कुछ बहुत बड़े डब्बों में बंद हैं
कुछ बड़े डब्बों में
कुछ छोटे
और कुछ बेहद छोटे डब्बों में
डिब्बों का आकर हमारे आयाम तय करता है
कई बार हम अपने चारो तरफ के इस डब्बे को लोहे सा मजबूत बना देते हैं
और उससे बहार नहीं आना चाहते
हाँ कई बार दीवारें कितनी मजबूत हों
वक़्त के साथ हमारी सोच बदलती है
और एक दिन हम उनसे बहार ही जाते हैं
यहाँ मैंने जो लिखा
वो मेरे उपर भी लागू है
बिलकुल उसी तरह
पर हम सभी को तोडनी है
ये दीवारें
और बना लेंगे एक रास्ता
एक दिन ये होगा जरूर..........

19 comments:

  1. बहुत सुन्दर | हृदयग्राही ||

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  2. इन डब्बों से खुद ही बाहर आना होता है ...

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  3. मुझे तो सबसे अच्छा तब लगेगा ....
    जब अपने सोच के डब्बे को दूसरे सोच के डब्बे से अदलाबदली कर लूं
    बिलकुल उस बच्चे की तरह जो डब्बों से खेला करता है
    जब लगे अब डब्बा पुराना हो गया है , तो झट से तोड़ डालूं उस डब्बे को
    '''लेकिन सच तो यह है की बच्चे होकर हम डब्बे से खेला करते थे
    अब डब्बे हमको खेलाते है.

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  4. सोच कोई रोक कर रखी जाने वाली वस्‍तु नहीं है चाहे फिर वो हमारे सामाजिक सारोकारों की सोच हो, हमारी सभ्‍यता और संस्‍कृति की सोच होा यह तो निरन्‍तर बहती रहने वाली नदी की तरह है जिसमें सदैव ताजगी बनी रहती हैा इसे एक जगह बन्‍द रखदिया जाय तो सडांध पैदा होने लगेगीा बहरहाल इस श्रेष्‍ठ रचना के लिये आपको बधाई देता हूंा

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  5. इन डब्बों पर अद्भुत अभिव्यक्ति है| इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद|

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  6.  अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  7. डिब्बों के ज़रिये बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  8. जो इन डिब्बों के खोल से बाहर निकल पाटा है वही बुद्धत्व को प्राप्त होता है.. बेहतरीन रचना!!

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  9. कभी कभी कमरे की दीवारों के पिंजरे को तोड़ कर मन पंछी उडान भरना चाहता है ॥

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  10. सोच के डिब्बे यदि लोहे के होगे तो सब से दूर हो जाएंगे |कम से कम पता तो होना चाहिए हर डिब्बे हें क्या बंद किया है |
    आशा

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  11. सोच कई बार एक डिब्बे से दूसरे में भी पहुँच जाती है ... अच्छी प्रस्तुति

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  13. बहुत सुन्दर रचना।

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  14. सकारात्मक सोच के साथ लिखी गई रचना ...

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  15. bahut achchi sochwalaa dibba.jiske ander itani sunder gajal hai.badhaai aapko.

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  16. Bahut sahi kahi aapne.. Aabhar,,

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  17. बिल्कुल। डिब्बे वाटर टाइट कम्पार्टमेण्ट हैं। एक दूसरे से अप्रभावित (?) लैगून।
    हममें ही कुछ है जो उन्हे वाटर टाइट रखना चाहता है।
    बहुत सुन्दर कविता।

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