यकीनन यकीं है मुझे, मैं तुमपे ऐतबार करता हूँ;
न कर सकूँगा मगर मौत के आने के बाद।
Thursday, 10 March 2011
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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे , जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे। तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से ,...
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हम इंसान है हमारी सोच हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है बचपन से लेकर अब तक की सारी बातों पर हम सोच और विचार के...
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteमगर शेर कुछ अधूरा है!
aage....just joking yr!!
ReplyDeletetere liye bacha rakhe the 2 kachhe aam badi mudatta se,
magar bacha na sakunga, achaar banane ke baad....:))
tere aane se pahle nahaya karta tha kabhi-2 mai,
ab fir se nahata hun nahane ke baad....:))