धीरे-धीरे मुझे ये यक़ीन हो गया है
की दुनिया के सारे सुंदर पुरुष
खाना पकाने में कुशल होते हैं
क्यों की सुंदर वही होता है
जो भीतर मन से पका हुआ (परिपक्व) हो
जो ख़ुद को पकाने में कुशल हो
और दुनिया की सारी बहादुर स्त्रियाँ
निकलती हैं घर से बिना परवाह किए
की कौन क्या सोचता है, या कहता है
क्यों की बहादुर वही होता है
जो स्वयं को यूँ जीत ले
कि दूसरों की परवाह न करे
दुनियाँ के सारे सुंदर पुरुष
हार जाते है बहादुर स्त्रियों से
प्रेम में हार जाना ही जीत है
की दुनिया के सारे सुंदर पुरुष
खाना पकाने में कुशल होते हैं
क्यों की सुंदर वही होता है
जो भीतर मन से पका हुआ (परिपक्व) हो
जो ख़ुद को पकाने में कुशल हो
और दुनिया की सारी बहादुर स्त्रियाँ
निकलती हैं घर से बिना परवाह किए
की कौन क्या सोचता है, या कहता है
क्यों की बहादुर वही होता है
जो स्वयं को यूँ जीत ले
कि दूसरों की परवाह न करे
दुनियाँ के सारे सुंदर पुरुष
हार जाते है बहादुर स्त्रियों से
प्रेम में हार जाना ही जीत है