तुम दूर सही दूर से भी बात अगर हो
लहरों का साहिल से मुलाक़ात अगर हो
मुनासिब हो तो ठहरो की है शाम अभी दूर
ज़िंदगी की सुबह है, समझदार अगर हो
मरने की ख़्वाहिश तो जीने का शग़ल है
बीमार ही बीमार हो तीमार अगर हो
हम ने गुलाब-ए-अश्क़ भी देखे है यहाँ पर
काँटों की वजूद पर जो वार अगर हो
हम छोड़ भी दे रास्ता, और नाम 'मुसाफ़िर'
यादें न हो, ये ज़िंदगी सफ़र न अगर हो
लहरों का साहिल से मुलाक़ात अगर हो
मुनासिब हो तो ठहरो की है शाम अभी दूर
ज़िंदगी की सुबह है, समझदार अगर हो
मरने की ख़्वाहिश तो जीने का शग़ल है
बीमार ही बीमार हो तीमार अगर हो
हम ने गुलाब-ए-अश्क़ भी देखे है यहाँ पर
काँटों की वजूद पर जो वार अगर हो
हम छोड़ भी दे रास्ता, और नाम 'मुसाफ़िर'
यादें न हो, ये ज़िंदगी सफ़र न अगर हो
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