यूं कि फिर से अंजान हो जाऊँ तुम्हे,
कि तुम मुझे जानने पहचानने लगे।
हो जाना चाहता हूँ
कि तुम मुझे जानने पहचानने लगे।
हो जाना चाहता हूँ
फिर से अपरिचित
मिटाने को एक भ्रम
भ्रम की तुम जानने लगे हो
मुझे, तुम पहचानने लगे हो
बिना उतरे हुए प्रेम में
तुम ने परख़ लिया
अपने तर्कों पर
वह जो मैं हूँ ही नहीं
क्या बात है, बहुत खूब
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