Sunday, 20 September 2015

अब यही फ़ैसला कर लिया

अब यही फ़ैसला कर लिया;
हम ने खुद से गिला कर लिया|

खुद से जाने लगा दूर जब;
तोड़ कर आईना रख दिया|

हम से सम्हला नहीं दर्दे दिल;
आँसुओं ने दगा कर दिया|

देर लहरों को देखा किया;
आ कर वापस चला जो गया|

रूठी हैं मंज़िलें तो भी क्या;
फिर 'मुसाफिर' सा चलता गया|


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