ख्वाब आँखों से जो छूटे;
तो मैं जगा हूँ अभी|
डूबता जाता हो दिल ये;
तो इरादा हूँ अभी|
आश खोजो जो दिल में;
तो मैं वादा हूँ अभी|
मय पी है, मोहब्बत नहीं;
तो मैं प्यासा हूँ अभी|
खोजो काली रात की ताक़त;
तो चाँद सा हूँ अभी|
मैं 'मुसाफिर' ही हूँ अभी;
तो रहजदा हूँ अभी|
तो मैं जगा हूँ अभी|
डूबता जाता हो दिल ये;
तो इरादा हूँ अभी|
आश खोजो जो दिल में;
तो मैं वादा हूँ अभी|
मय पी है, मोहब्बत नहीं;
तो मैं प्यासा हूँ अभी|
खोजो काली रात की ताक़त;
तो चाँद सा हूँ अभी|
मैं 'मुसाफिर' ही हूँ अभी;
तो रहजदा हूँ अभी|
बहुत ही सुंदर। ।।।।
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