एक ही शख्स है, इस दिल को दुखाने वाला,
और वही शख्स है, इस दिल को लुभाने वाला|
दूर रह कर कोई तकलीफ़ कहाँ देता है,
जख्म-ए-दिल देता है, कोई पास तक आने वाला|
मैं परेशान हूँ, या दिल है धड़कता यूँ ही,
ये समझता है, वही दिल तक करीब आने वाला|
ज़रा सम्हल के गिन ही लूँ मैं अपनी साँसें,
ये ठहर जाती है, जब भी होता है वो आने वाला|
तुम सरे राह 'मुसाफिर' ना करो यूँ तकरार,
ये मोहब्बत मिले जब दिल हो कोई चाहने वाला|
और वही शख्स है, इस दिल को लुभाने वाला|
दूर रह कर कोई तकलीफ़ कहाँ देता है,
जख्म-ए-दिल देता है, कोई पास तक आने वाला|
मैं परेशान हूँ, या दिल है धड़कता यूँ ही,
ये समझता है, वही दिल तक करीब आने वाला|
ज़रा सम्हल के गिन ही लूँ मैं अपनी साँसें,
ये ठहर जाती है, जब भी होता है वो आने वाला|
तुम सरे राह 'मुसाफिर' ना करो यूँ तकरार,
ये मोहब्बत मिले जब दिल हो कोई चाहने वाला|
No comments:
Post a Comment