चाहता हूं कुछ साँसें अपनी जिंदगी से अलग कर दूं
वो जो तुम्हारी यादों के साथ ली थी मैं ने
और जिनके साथ घुली हवा मेरे रक्त में समा गयी
जो मेरे रक्त के साथ सीने से होते हुए
मेरे दिल और दिमाग़ में अपनी जगह बना चुकी है
और जिसने तुम्हारे यादों का असर और गहरा कर दिया है
मैं चाहता हूं तुम्हारी याद का हर असर ख़त्म कर दूं
मैं चाहता हूं कुछ साँसों को अपनी जिंदगी से अलग कर दूं
यादों को मुक्त करना आसान नहीं ...
ReplyDeleteयही जीवन की विडम्बना है
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-05-2014) को "मुजरिम हैं पेट के" (चर्चा मंच-1603) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार !!!
Deleteसुंदर रचना........
ReplyDeleteसहृदय आभार!!!
Deleteकितने सुंदरता से मन के भावों को व्यक्त किया है ....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ....!!
संजय भाई हौसला बढ़ाने के लिए आभार!!!
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