"प्रेम जीवन के एक सबसे सुखद और अनमोल अनुभवों में से है और किसी द्वारा प्रेम किये जाने की अनुभूति तो स्वार्गिक है". - डा. अरविंद मिश्रा
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए...........
प्रेम किये जाने की अनुभूति तो स्वार्गिक है .....इसका दूसरा पहलू ये है कि.......... किसी के प्रेम मे होने की अनुभूति नैसर्गिक अनुभूति है जो उत्तरोत्तर और प्रगाढ़ होती जाती है. किसी द्वारा प्रेम किये जाने की अनुभूति नैसर्गिक नहीं हो सकती क्यों की यह बात दूसरे व्यक्ति पर निर्भर है, और जिन बातों की निर्भरता किसी व्यक्ति पर हो वह नैसर्गिक नहीं हो सकती परंतु स्वयं को प्रकृति का हिस्सा जानते हुए जो आपके हृदय में किसी के लिए प्रेम की परिणिति होती है वह आपको अनंत से जोड़ती है.
स्वर्गिक सुख की अपनी सीमाये है, नैसर्गिक सुख अनंत है.
हो कितना भी गहरा तिमिर
तोड़ ही देती है अहंकार
जब लाती है उषा
सूर्य की किरण निर्विकार.
दिन कितना भी हो नीरस
बन ही जाता है सरस
जब शाम के आने के साथ
आये आमराइयों से कोकिल रस.
समंदर से अलग लहरों का करुण क्रंदन
एक दर्द का स्पंदन
और फिर होता है
सागर से मिलकर ही शांत मन.
उम्र के किसी पड़ाव पर सयास
हो उदास मन अनायास
आनंदित होता है मन फिर
जब हो हृदय प्रेम परिणति आभास.
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए...........
प्रेम किये जाने की अनुभूति तो स्वार्गिक है .....इसका दूसरा पहलू ये है कि.......... किसी के प्रेम मे होने की अनुभूति नैसर्गिक अनुभूति है जो उत्तरोत्तर और प्रगाढ़ होती जाती है. किसी द्वारा प्रेम किये जाने की अनुभूति नैसर्गिक नहीं हो सकती क्यों की यह बात दूसरे व्यक्ति पर निर्भर है, और जिन बातों की निर्भरता किसी व्यक्ति पर हो वह नैसर्गिक नहीं हो सकती परंतु स्वयं को प्रकृति का हिस्सा जानते हुए जो आपके हृदय में किसी के लिए प्रेम की परिणिति होती है वह आपको अनंत से जोड़ती है.
स्वर्गिक सुख की अपनी सीमाये है, नैसर्गिक सुख अनंत है.
हो कितना भी गहरा तिमिर
तोड़ ही देती है अहंकार
जब लाती है उषा
सूर्य की किरण निर्विकार.
दिन कितना भी हो नीरस
बन ही जाता है सरस
जब शाम के आने के साथ
आये आमराइयों से कोकिल रस.
समंदर से अलग लहरों का करुण क्रंदन
एक दर्द का स्पंदन
और फिर होता है
सागर से मिलकर ही शांत मन.
उम्र के किसी पड़ाव पर सयास
हो उदास मन अनायास
आनंदित होता है मन फिर
जब हो हृदय प्रेम परिणति आभास.
बहुत सुन्दर अभियक्ति ,आशा और प्रेम की ,विश्वास की
ReplyDeleteसहृदय आभार!!!
Deleteआपकी पोस्ट की चर्चा 24- 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
रचना को ज्यादे लोगों तक पहुँचाने के लिए आभार !!!
Deleteबहुत-बहुत आभार!!!!
ReplyDeleteसुंदर पंक्तियाँ!
ReplyDelete~सादर!!!
बहुत-बहुत आभार !!!
Deleteरचना की सार्थकता यही है कि लोगों को पसंद आये.
Uttam
ReplyDeleteThank you Bhai
Delete