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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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जाने कब कैसे ख्वाबों के पंख मिले; जाने कब कैसे उड़ाने की चाह मिले. जब-जब जीवन से इस पर तकरार हुई है; मुझको जीवन से बदले में आह म...
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कितने सारे दर्द हैं जिनको जीता हूँ दुनिया कहती है मैं बड़ा हो गया हूँ खुश होता हूँ मैं जब बच्चा होता हूँ माँ फिर से अपना आँचल क...
करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के साथ आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
आभार!!!
ReplyDeleteप्रणाम
हृदयस्पर्शी ..... सीमित शब्द पर कितनी गहरी बात
ReplyDeleteआभार मोनिका जी!!!
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ReplyDeleteसौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
मिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
ReplyDeleteमिलजुल के मनाये दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
वीरुभाई
जो बूझा न जा सके वही तो है अ -ज्ञेय
निज भाषा उन्नति अहो ,सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को
ReplyDeleteजो बूझा न जा सके वही तो है अ -ज्ञेय
जी बिलकुल सही कहा आपने.
Deleteप्रभावशाली रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार संजय जी !!!
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