सरहद पार पाकिस्तान में और इधर हिन्दुस्तान में रहने वाले कुछ लोग अब भी दिल से दुआ करते हैं, की ये सरहदें ख़त्म हो जायें...........
खोया है, लोगों ने, कुछ इधर भी उधर भी;
बिखरी कुछ जिंदगी है, इधर भी उधर भी.
है ज़रा सी दूरियाँ बस सरहदों की;
दिल तो एक जैसा है, इधर भी उधर भी.
माना चोट बरसों पुरानी थी लगी;
दिल में उठती टीश है, इधर भी उधर भी.
वक्त के पत्थरों पर जो लिख गया;
इबारतें दिल मे खुदीं हैं, इधर भी उधर भी.
बिछड़ों से मिलने की चाहते जो जिंदा हैं;
सीने में एक तड़प है, इधर भी उधर भी.
well written.
ReplyDeleteप्रणाम
Deleteआभार!!!