हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
प्रेम सरस कुछ नाहीं जाग में;
यह विश्वास रहे.
तोड़ जगत के आडंबर सब;
हेरत प्रेम रहे.
हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
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हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
जब खोजत, जग जाय हेराय;
तब सुख-प्रेम मिले.
खोजत रहे प्रेम जो बाहर;
भीतर आन मिले.
हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
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हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
धरती का आधार सकल शुभ;
बरसत प्रेम रहे.
जो जाने प्रेम रस मीठा;
सकल प्रेम बने.
हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
वाह ... बेहतरीन भाव लिए अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteसहृदय आभार !!!!!!
Deleteबहुत ही मधुर एवं सरस रचना ! आभार !
ReplyDeleteसुंदर भाव समेटे कविता.
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeletesunder prastuti
ReplyDeleteसुंदर!!
ReplyDeleteसभी को सहृदय आभार !!!
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें.
bahut sundar..
ReplyDeleteप्रणाम!!!!
Deleteआभार !!!