जीवन के सन्दर्भ में
प्रेम और भोग के सन्दर्भ में.
प्रेम एक उन्मुक्त आकाश देता है;
जिसमे आप हर तरह के बंधन और भय से मुक्त हैं.
सदा सर्वदा के लिए.
भोग जीवन एक बंधन है;
हम बंधन में होते है.
वैसे ही जैसे खूटें से बँधी गाय;
अगर मुक्त भी कर दो तो,
उसे नही पता कहाँ जाना है.
और लौट कर खूँटे के पास ही आती है.
पर इनसे परे एक चेतना है हममें;
जो हमें भोग के रसातल बंधन से,
प्रेम के उन्मुक्त आकाश तक ले जाती है.
और उस पल में आप आकाश को उन्मुक्त भाव से जीते हैं.
बिना बंधन के.
पूर्ण जीवंत.
No comments:
Post a Comment