रे साधो सध जाना,
प्रेम, प्रीति के बंधन में
बँध जाना, सध जाना
प्रेम भए जग उपजे
ध्यान धरे जग छूटे
ध्यान धरे प्रेम जो होवे
जग में जग छूटे
साधो सध जाना
तन के माटी, मन के फेरे
लगे जगत के फेरे
ध्यान प्रेम से टूटे बंधन
टूटे जगत के फेरे
साधो सध जाना
© Gyanendra
प्रेम, प्रीति के बंधन में
बँध जाना, सध जाना
प्रेम भए जग उपजे
ध्यान धरे जग छूटे
ध्यान धरे प्रेम जो होवे
जग में जग छूटे
साधो सध जाना
तन के माटी, मन के फेरे
लगे जगत के फेरे
ध्यान प्रेम से टूटे बंधन
टूटे जगत के फेरे
साधो सध जाना
© Gyanendra
सुन्दर कविता, भाव भरे शब्दों के साथ
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