अगर कोई विकास से लेकर राष्ट्रवाद तक के
इस दस मुख वाले रावण का अंत कर दे
तो मैं माँ लूँगा की राम हैं
अगर कोई अर्जुन की तरह
संशय में पड़ी जनता का संशय ख़त्म कर दे
तो मैं माँ लूँगा की वो कृष्ण है
अगर को भय की शिला पर
बैठे हुए बाज़ारवाद से मुक्त कर दे
तो मैं जान जाऊँगा की बुद्ध आ गए
अगर कोई प्रेम और सद्भाव
को सब के मन में स्थापित कर दे
तो मैं जाऊँगा की मैं मसीह से मिला
अगर कोई इस बाज़ारवादी
रेगिस्तान में जीने का तरीक़ा पैदा कर दे
तो समझ लेना वो पैग़म्बर से ज्यादे गुणवान है