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जीवन सफ़र
सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र रास्तों के काँटे अपने अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...
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पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे , जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे। तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से ,...
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हम इंसान है हमारी सोच हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है बचपन से लेकर अब तक की सारी बातों पर हम सोच और विचार के...
ram ram bhai
ReplyDeleteमुखपृष्ठ
मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
सहृदय आभार!!!!
Deleteप्रणाम स्वीकार करें.
बढिया रचना
ReplyDeleteधन्यवाद, मनु जी.
Deleteachchhee rachna ,par jindagi mein sangharsh to hota hi hai--raah jaroor miltee hai
ReplyDeleteजी सही कहा आपने.
ReplyDeleteये एक मनः स्थिति की अभिव्यक्ति है.
बहुत अच्छा लिखा है आपने ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आई ---मैंने कब चाहा पंख और ख्वाब गगन के
ReplyDeleteमैंने चाहा टूटे दिल को बस एक राह मिले
आप का सहृदय अभिवादन!!!!
Deleteआप का आशीर्वाद मिलता रहे!!!!
बेहद भाव पूर्ण ...जीवन के अनुभवों सुख दुःख की धूप छाँव को उकेरती कब्यांजलि...
ReplyDeleteआभार !!
आप को रचना अच्छी लगी इसके लिए सहृदय आभार!!!
Deleteये अनुभूति हमारे आप के सभी के दिल मे कभी न कभी तो आती ही है.
हमारी अभिव्यक्ति को लोगों तक पहुँचाने के लिए, आभार!!!
ReplyDeleteनयी पुरानी हलचल का प्रस्तुतिकरण बहुत सुंदर है.
वाह.....
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना...
सुन्दर एहसास....
अनु
सहृदय आभार अनु जी!!!!
Deleteek rah zaroor milegi......ummeed rakhen,tabhi jee payenge.....
ReplyDeleteउम्मीद पर तो दुनिया कायम है.
Deleteआभार!!!
सुंदर प्रस्तुति |
ReplyDeleteइस समूहिक ब्लॉग में आएं और हमसे जुड़ें |
काव्य का संसार
आभार !!!!
Deletehttp://kavyasansaar.blogspot.in/
visit kiya aur wahan samarthak soochi me juda hoon.