Thursday, 26 July 2012


सरहद पार पाकिस्तान में और इधर हिन्दुस्तान में रहने वाले कुछ लोग अब भी दिल से दुआ करते हैं, की ये सरहदें ख़त्म हो जायें...........

खोया है, लोगों ने, कुछ इधर भी उधर भी;
बिखरी कुछ जिंदगी है, इधर भी उधर भी.

है ज़रा सी दूरियाँ बस सरहदों की;
दिल तो एक जैसा है, इधर भी उधर भी.

माना चोट बरसों पुरानी थी लगी;
दिल में उठती टीश है, इधर भी उधर भी.

वक्त के पत्थरों पर जो लिख गया;
इबारतें दिल मे खुदीं हैं, इधर भी उधर भी.

बिछड़ों से मिलने की चाहते जो जिंदा हैं;
सीने में एक तड़प है, इधर भी उधर भी.

Tuesday, 17 July 2012

हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
प्रेम सरस कुछ नाहीं जाग में;
यह विश्वास रहे.

तोड़ जगत के आडंबर सब;
हेरत प्रेम रहे.
हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
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हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
जब खोजत, जग जाय हेराय;
तब सुख-प्रेम मिले.

खोजत रहे प्रेम जो बाहर;
भीतर आन मिले.
हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
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हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.
धरती का आधार सकल शुभ;
बरसत प्रेम रहे.

जो जाने प्रेम रस मीठा;
सकल प्रेम बने.
हृदय स्नेह भरे;
नयनन नीर बहे.

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र  रास्तों के काँटे अपने  अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...