शाखों से अलग पत्ते,
हवा के हल्के झोंके से दूर चले जाते हैं।
मैं तुमसे अलग,
इतना जड़ कैसे हूँ।
जंगल में पेड़ से अलग सूखे पत्ते,
यूँ ही जल जाते हैं।
मैं तुमसे अलग ,
अब तक जला क्यों नहीं।
समंदर से अलग हुई लहर,
अपना अस्तित्व खो देती है।
मैं तुमसे अलग,
खुद का होना सोचूँ कैसे।
हवा के हल्के झोंके से दूर चले जाते हैं।
मैं तुमसे अलग,
इतना जड़ कैसे हूँ।
जंगल में पेड़ से अलग सूखे पत्ते,
यूँ ही जल जाते हैं।
मैं तुमसे अलग ,
अब तक जला क्यों नहीं।
समंदर से अलग हुई लहर,
अपना अस्तित्व खो देती है।
मैं तुमसे अलग,
खुद का होना सोचूँ कैसे।