बरसे हैं मेरे नयन
पर बहार कहाँ रे
तूँ जो मुझसे कहता था
वो प्यार कहाँ रे.
नयनन स्नेह रस
झर-झर जाए
तुझको मेरी सुध कहाँ
वो प्यार कहाँ रे.
मैं जागा रात भर
तू सोये नींद भर
जागी जागी रातों का
वो प्यार कहाँ रे.
पर बहार कहाँ रे
तूँ जो मुझसे कहता था
वो प्यार कहाँ रे.
नयनन स्नेह रस
झर-झर जाए
तुझको मेरी सुध कहाँ
वो प्यार कहाँ रे.
मैं जागा रात भर
तू सोये नींद भर
जागी जागी रातों का
वो प्यार कहाँ रे.