Sunday, 26 January 2014

इस दुनियावी सफ़र में अब रखा क्या है.

सफ़र है जिंदगी, और यहाँ होता क्या है;
जो भी मिलता है, वो भी मिलता क्या है.

जिंदगी के सफ़र पर निकले हो तुम;
सिवा मौत के अपना पराया क्या है.

एक मोहब्बत ही तो है दिल मे तेरे;
लूटा दे यूँ भी पास तेरे रखा क्या है.

समझना था राह की मुश्किलों को तुम्हें;
और समझना था की ये दुनिया क्या है.

घर को लौट ही चल 'मुसाफिर' अब तूँ;
इस दुनियावी सफ़र में अब रखा क्या है.

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र  रास्तों के काँटे अपने  अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...