Friday, 28 October 2011

जिंदगी क्या है


जिंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो;
मोहब्बत क्या है किसी को अपना बनाकर देखो.

सफ़र जिंदगी का है नये रास्तों से ही;
जिंदगी क्या है,नये रास्ते बनाकर देखो.

समंदर के सीने मे मौज है कितनी;
समंदर के सीने मे तुम समाकर देखो.

तुम समझ न सकोगे दूरियो की तड़प को;
अंधेरा होता है क्या, रोशनी को हटा कर देखो.

आग होती है क्या, हर तरफ धुआँ सा लगता है;
जलन होती है क्या, आग सीने मे लगाकर देखो.

वो 'मुसाफिर' से पूछते है की हाले दिल क्या है;
हालेदिल क्या है, ये मुझसे दिल लगाकर देखो.

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र  रास्तों के काँटे अपने  अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...