मैं उस को ज़िंदगी के मायने समझा रहा हूँ।
वो मुझसे उलझ गया है कई सवालों पर,
मैं, प्यार का उस को इक एहसास दिला रहा हूँ।
मैं ठहरी निगाहों से उसे देखता हूँ,
वो मुझ से कह रहा है, मैं अब जा रहा हूँ।
वो जागते ख़्वाब में तनहा सा भटकता है,
मैं ख़्वाबों नींद में भी साथ उस के जा रहा हूँ।
मुसाफ़िर रिश्तों को ढोने में अब रखा क्या है,
सफ़र में समान अधिक जो था उसे हटा रहा हूँ।