१)
बहुत कुछ लिख दिया जाता है
दिल और दिमाग़ पर
कविता या कहानी लिखने के पहले
काग़ज़ पर सिर्फ़ बिम्ब है
मन के गहरे तल पर
जीवन्त हैं अनुभूतियाँ
२)
इंसान मरता है
सच में मरने के पहले
तनहाइयों में
परेशानियों में और जाने कब कब
और जब वो इन सब से थोड़ा
सा कुछ बचा पाता है
तो वो जीता है ख़ुद को
ख़ुद को जान पाने के लिए
३)
रोशनी और अंधेरे के बीच की लड़ाई
इंसान के भीतर ख़ुद के सच
और ख़ुद में छुपे झूठ की लड़ाई है
झूठ वो जो वो दुनियाभर सामने जीत जाता है
सच वो जो वो जिस से वो ख़ुद हार जाता है
४)
ठहरने और चलने के बीच
साँस के भीतर और बाहर जाने के बीच
या की ज़िंदगी और मौत के बीच
एक पल होता है जहाँ कुछ नहीं होता
और ये पल हर, एक पल में ज़िंदा है
और वही एक पल है, जहाँ हम ज़िंदा है
५)
परछाइयाँ न तो रोशनी दे सकती है
और न ही जला सकती है
वो बस होती है परछाइयों की तरह
दिया जल भी सकता है रोशनी के लिए
जला भी सकता है तबाही के लिए
बहुत कुछ लिख दिया जाता है
दिल और दिमाग़ पर
कविता या कहानी लिखने के पहले
काग़ज़ पर सिर्फ़ बिम्ब है
मन के गहरे तल पर
जीवन्त हैं अनुभूतियाँ
२)
इंसान मरता है
सच में मरने के पहले
तनहाइयों में
परेशानियों में और जाने कब कब
और जब वो इन सब से थोड़ा
सा कुछ बचा पाता है
तो वो जीता है ख़ुद को
ख़ुद को जान पाने के लिए
३)
रोशनी और अंधेरे के बीच की लड़ाई
इंसान के भीतर ख़ुद के सच
और ख़ुद में छुपे झूठ की लड़ाई है
झूठ वो जो वो दुनियाभर सामने जीत जाता है
सच वो जो वो जिस से वो ख़ुद हार जाता है
४)
ठहरने और चलने के बीच
साँस के भीतर और बाहर जाने के बीच
या की ज़िंदगी और मौत के बीच
एक पल होता है जहाँ कुछ नहीं होता
और ये पल हर, एक पल में ज़िंदा है
और वही एक पल है, जहाँ हम ज़िंदा है
५)
परछाइयाँ न तो रोशनी दे सकती है
और न ही जला सकती है
वो बस होती है परछाइयों की तरह
दिया जल भी सकता है रोशनी के लिए
जला भी सकता है तबाही के लिए