Friday, 30 December 2011

जिंदगी का राज


मुझे ये जिंदगी का राज समझ आया करीने से,
कि खुश्बू फूल की आती है मेहनत करके जीने से।

तुम्हे कतरा कह कर लोग ठुकराए तो भी क्या,
समंदर बनके निकले मोहब्बत,बूँद के ही सीने से.

रोटी बनती नही है रुपये दौलत या नगीने से.
आगर न सीँचे मिट्टी आदम का घीसू पसीने से।

घुटन सी एक मैं महसूस करता हूँ शहरों मे,
यहाँ अब दिन गुज़रते है बरसों या महीने से.

चलो रुख़ कर लो 'मुसाफिर' गावों की तरफ फिर से,
मिला है क्या तुम्हे इस शहर मे घुट घुट के जीने से.

Friday, 28 October 2011

जिंदगी क्या है


जिंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो;
मोहब्बत क्या है किसी को अपना बनाकर देखो.

सफ़र जिंदगी का है नये रास्तों से ही;
जिंदगी क्या है,नये रास्ते बनाकर देखो.

समंदर के सीने मे मौज है कितनी;
समंदर के सीने मे तुम समाकर देखो.

तुम समझ न सकोगे दूरियो की तड़प को;
अंधेरा होता है क्या, रोशनी को हटा कर देखो.

आग होती है क्या, हर तरफ धुआँ सा लगता है;
जलन होती है क्या, आग सीने मे लगाकर देखो.

वो 'मुसाफिर' से पूछते है की हाले दिल क्या है;
हालेदिल क्या है, ये मुझसे दिल लगाकर देखो.

Sunday, 25 September 2011

मैं तुमसे अलग!


शाखों से अलग पत्ते,
हवा के हल्के झोंके से दूर चले जाते हैं
मैं तुमसे अलग,
इतना जड़ कैसे हूँ

जंगल में पेड़ से अलग सूखे पत्ते,
यूँ ही जल जाते हैं
मैं तुमसे अलग ,
अब तक जला क्यों नहीं

समंदर से अलग हुई लहर,
अपना अस्तित्व खो देती है
मैं तुमसे अलग,
खुद का होना सोचूँ कैसे

Wednesday, 14 September 2011

तुम सुगंध हो मेरी


तुम सुगंध हो मेरी
मैं पवन हूँ तेरा
मिल तू जाए अगर
तो ये जीवन मेरा ।

चाँद को चाहिए
चाँदनी, और क्या
तू नहीं है तो फिर
क्या ये जीवन मेरा

है मेरे जो नयन
अश्रु पूरित यहाँ
मन में मेरे जो है
बस वो चेहरा तेरा

शाम की रोशनी
मुझको अच्छी लगे
पास तू है नहीं
सुबह का उजाला तेरा

आश दिल में मगर
है एक बाकी अभी
वो बन के आये
सुबह का जाला मेरा

Wednesday, 17 August 2011

मेरे कातिल


पास कातिल मेरे मुझमें जान आने दे,
जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे।

तू तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से,
खुद को नजरों से सीने में उतर जाने दे।

कुछ ठहर जा कि छुपा लूँ मैं दर्द सीने का,
या तेरे सीने से लिपट कर बिफर जाने दे।

तुझको पाना नहीं है मेरी मंजिल,
तू जरा खुद में मुझको समां जाने दे।

अब गुजारिश है 'मुसाफिर' की खुदा से,
वो मुझे मेरे खुदा से ही मिल जाने दे।

Thursday, 14 July 2011

वो प्यार कहाँ रे.............


बरसे हैं मेरे नयन
पर बहार कहाँ रे
तूँ जो मुझसे कहता था
वो प्यार कहाँ रे.

नयनन स्नेह रस
झर-झर जाए
तुझको मेरी सुध कहाँ
वो प्यार कहाँ रे.

मैं जागा रात भर
तू सोये नींद भर
जागी जागी रातों का
वो प्यार कहाँ रे.

Sunday, 3 July 2011

सोच के डब्बे


हम इंसान है
हमारी सोच
हमारे चारो तरफ कि बातों पर निर्भर करती है
बचपन से लेकर अब तक की
सारी बातों पर
हम सोच और विचार के डब्बों में बंद होते हैं
कुछ बहुत बड़े डब्बों में बंद हैं
कुछ बड़े डब्बों में
कुछ छोटे
और कुछ बेहद छोटे डब्बों में
डिब्बों का आकर हमारे आयाम तय करता है
कई बार हम अपने चारो तरफ के इस डब्बे को लोहे सा मजबूत बना देते हैं
और उससे बहार नहीं आना चाहते
हाँ कई बार दीवारें कितनी मजबूत हों
वक़्त के साथ हमारी सोच बदलती है
और एक दिन हम उनसे बहार ही जाते हैं
यहाँ मैंने जो लिखा
वो मेरे उपर भी लागू है
बिलकुल उसी तरह
पर हम सभी को तोडनी है
ये दीवारें
और बना लेंगे एक रास्ता
एक दिन ये होगा जरूर..........

Wednesday, 29 June 2011

रास्ते का पत्थर

वो,
रास्ते का पत्थर,
निखरा है, कितनी
ठोकरें खाकर

जो,
ठिठुरता ठंड में,
तपता है, कड़क
धूप में, अजर

वो,
घूमता एक दिन,
पहुँचा शिवालय,
हो बच्चे के कर

वो,
मुस्कुराता वक्त पे,
और कभी फिर ,
इस भाग्य पर

जो,
ठोकरे दे कर गए,
वो मिलें हैं, देखो
सर झुका कर

Saturday, 11 June 2011

प्यार के सूखे हुए फूल

कुछ दिनों शहर से बाहर था अतः नयी रचना आने में कुछ देरी हो गयी

प्यार के सूखे हुए फूल हैं कताबों में अभी;
रौशनी उम्मीद की है दिल के चरागों में अभी।

मैं जल रहा हूँ कि जलना है मुकद्दर में मेरे;
बस तेरे प्यार के मरहम की जरूरत है अभी।

गैर तुझको मैं समझूं ये तो न मुमकिन है;
मुझको तूँ अपना बना ले ये रास्ता है अभी।

खोज ही लूँगा तुझे मैं बहता हुआ एक दरिया हूँ;
प्यास मुझमें समंदर कि जो बाकी है अभी।

मैं मर गया भी तो बस देखना ये चाहूँगा;
कि मैं मर के भी तुझमें कही बाकी हूँ अभी।

Monday, 30 May 2011

मैं पतंग

हमारे मित्र निशांत जी ने आग्रह किया ................"हो सके तो कभी उस मज़बूरी को भी कविता में बयाँ कीजिए, जहाँ पतंगे आसमान में उड़ने से थक हार कर जमीन में अपने उड़ाने वाले हाथों में लौटना चाहता है, लेकिन अमूमन समय की आंधी में उसकी परिणीति कट कर किसी कोने में विलुप्त हो जाने में होती है।" ये गीत उनके लिए ........

मैं पतंग तूँ मुझको उड़ाये;
दूर मुझे ले जायें हवाएं
प्रेम डोर से तुझसे जुड़ी मै;
सोचूँ कब वापस तूँ बुलाये

मैं जो तुझसे मिलना चाहूँ;
डोर तूँ ख़ीचे बस यही उपाय
डोर कहीं कट जाए अगर तो;
वक़्त के झोकें दूर ले जायें

तेरे एक इशारे पर मैं;
इठलाउँ इतराउँ हाय!
दूर मैं तुझसे हवा से लड़ती;
दर्द मेरा कोई समझ पाये

मुकद्दर


वो मुकद्दर में है नहीं मेरे;
कह पाया हम तो हैं तेरे

यूँ खामोश चेहरा वो मुझे दीखता है;
जैसे आइना सामने पड़ा हो मेरे

शाम के साथ मै भी ढलता हूँ;
वो रौशनी जो साथ नहीं है मेरे

य़ू तो कट ही जायेगा जिंदगी का सफ़र;
मौत जायेगी चुपके से जहन में मेरे

मै सोचता था पा लूं मै मरने का सुकून ;
कि मौत आये पर हो उनकी बाँहों के घेरे

Sunday, 22 May 2011

विरह गीत


काँहें गये परदेश सजनवा ;
मनवा मोरा अधीर भवा।
देख रहे नित राह सजन के;
नयनन से नित नीर बहा।
काहें गये परदेश सजनवा.....

खोज रही मैं प्रीत की डारी;
मन चिरिया को ठौर कहाँ।
देखत बिम्ब द्वार पर जैसे;
मन सोचे है आये सजनवा।
काहें गये परदेश सजनवा.........

सिथिल नयन और याद सजन के;
मन छाये कारे दुःख के बदरवा।
घर सारा अँधियारा जग है;
तुमको कहाँ अब ढूढे नयनवा।
काहें गये परदेश सजनवा..........

बरस पड़े फिर टूट के बादल;
जब घर आये लौट सजनवा।
लिपट गये तन प्रेम में आतुर;
जैसे मिले हों नदी सगरवा।
अब तो यही मैं माँगू रब से;
अब न जाये परदेश सजनवा .....

Friday, 20 May 2011

दर्द के फूल


ख्वाब अक्सर ही टूट के बिखर जाते हैं;
दिल को हम दर्द के फूलों से ही सजाते हैं।

रास्ता ग़म को भुलाने का है नहीं कोई;
अश्कों के जाम से हम ये ख़ुशी मनाते हैं।

मेरी आँखों का ये पैमाना छलक जाता है;
रात भर आँखों में यूँ अश्क आते जाते हैं।

तुम नहीं होते हो तो तुम्हारी याद सही;
हमसफ़र बनकर मेरा साथ जो निभाते हैं।

Wednesday, 18 May 2011

हाथ मेरे ये ग़म का खज़ाना है लगा


हाथ मेरे ये ग़म का खज़ाना है लगा,
दुनिया मुझको ये एक वीराना है लगा।

दिल की है बात तो समझना भी मुश्किल है,
रोग मुझको जो मोहब्बत का पुराना है लगा।

मंजिले और भी थीं ग़म--जिंदगी के लिये,
पर मेरे दिल पे ही ग़म का निशाना है लगा।

समंदर है, साहिल है, है लहरों का सफ़र,
साहिल--दिल पर यादों का आना है लगा।


(कुछ निजी व्यस्तताओं और ब्लॉग की अव्यवस्था के कारण यह पोस्ट लगाने में कुछ देर हो गया,
इसके लिए माफ़ी चाहूँगा)

Tuesday, 3 May 2011

कुछ यादें


एक एहसास यही दिल मे बसाके रखिये,
मुझे अपना ना सही, गैर बनाकर रखिये.
मै जो नज़दीक नहीं तो दूर ही वाज़िब,
कु्छ नही हूँ, मुझे कुछ तो बनाकर रखिये.

कौन समझेगा, ये दिल के जख्म है गहरे,
उनको बस दिल में छुपाकर रखिये.
कौन समझेगा अब इन अश्को की कीमत,
है ये मोती आँखो में छुपाकर रखिये.

हौसला है तो गुजर जायेगा अँधेरो का सफ़र,
रोशनी होने तक खुद को बचाकर रखिये.
रात कट जायेगी यादों का सहारा तो है,
सुनहरी यादों को दिल मे बसाकर रखिये.

Friday, 29 April 2011

तेरा प्यार


तेरे प्यार का है असर यही, मै खुद ही खुद का रहा नहीं,
अब उधार का हूँ मै ज़ी रहा, मेरी जिन्दगी मेरी ना रही

एहसास है तुम दूर हो, मै अकेला हूँ है पता मुझे,
एहसान है इन हवाओं का एक सदा सी तेरी है ला रही

मै अन्धेरों मे हूँ तुम्हे ढूँढता, तेरी रोशनी कि तलाश है,
मै यादों का शुकरग़ुजार हूँ, एक चिराग है जो जला रही

तू मुझको अब यूँ याद है कि खुद को भूला मै यहाँ,
जो तुझको यूँ मै ज़ी लिया, तो जीने की चाहत ना रही

Tuesday, 26 April 2011

प्रतीक्षा


घर की बिखरी हुई वस्तुएं
मै समेटना चाहता हूँ जिन्हें,
की वो अपने पूर्ण सौंदर्य में हों
मेरे हृदय अंतस्थल पर बिखरी हुई ,
उसके साथ बिताये पल की यादें
मैं संजोना चाहता हूँ जिन्हें,
कि मैं उस पल को पूरी तरह जी सकूँ
उसके आने का दिन !
मैंने सहेजा है घर में बिखरी वस्तुएं
इस एहसास के साथ कि उसके आने से ,
फिर से जीवन होंगे उसके साथ बिताये पल के अनुभव
मैं संजो लूँगा उसके साथ बिताये पल को
आह! ये इंतज़ार बरसों का लगता है
अब बस वो जाए !

Sunday, 24 April 2011

तेरे जाने के बाद


हो तेरा साथ! है ये एहसास, तेरे जाने के बाद,
जिन्दगी मेरी होती है उदास, तेरे जाने के बाद
मौसमो का रंग भी तो अछ्छा लगे,
जिन्दगी बदरंग यूँ होती है, तेरे जाने के बाद

जिंदगी यूँ भी है हौसलों का सफ़र,
की मै इंतज़ार करू मौत के भी आने के बाद
और महसूस कर सकूँ मै पास ही तुझको,
य़ू मुझसे तेरे दूर भी चले जाने के बाद

मै जी रहा हूँ फ़िरसे मिलने कि उम्मीद मे अब,
जिन्दगी फ़िर से मिले तुझसे मिलने के बाद
एक पल का लगे है, ये बरसो का सफ़र,
बरसो एक पल मे जी लूँ तुझसे मिलने के बाद

अब अँधेरो का सफ़र खत्म हुआ लगता है,
रोशनी दूर से मिलि तेरी एक नज़र के बाद
देरअब तो यूँ करो भी तुम,
की नज़र हो जिन्दगी तेरी एक नज़र के बाद

Friday, 22 April 2011

आँखे


तेरी आँखे , मेरी आँखे , सबकी आँखे सूनी है,

किसी का आँचल मिल जाए तो रातें जग जग रोनी है ।
एक अकेला मैं ही नहीं, हैं जाने कितने और यहाँ,

कुछ गम के, कुछ ख़ुशी के आंसू जिनकी आँखे रोनी हैं।


Sunday, 17 April 2011

तुम आ जाओ !


मुझको, लोग जो कहने लगे है पागल,
तुम जाओ तो सब पहले जैसा हो जाए

मेरे अश्क भी अब सूख गये लगते है,
तुम जाओ तो आँखों में नमीं हो जाए

मैने इतने दिनों दिल को भुलावा है दिया,
तुम जाओ तो हर झूठ सच हो जाए

मैं अंधेरो में तलाशता रहा मुकद्दर को,
तुम जाओ तो रौशनी सी हो जाए



Saturday, 16 April 2011

मै जानता हूँ


अपने होठो को दबाना जानता हूँ,
बात को दिल मे छुपाना जानता हूँ ।
वो समझते हैं कि अनजान हूँ मै,
अनजान हूँ, मै ये जताना जानता हूँ ।

बेवफ़ाई की हदें मालूम हैं पर,
मैं वफ़ा को ही निभाना जानता हूँ ।
डरता नही महफ़िल मे लेने से नाम,
बस बदनामी से बचाना जानता हूँ

ऐसा नही रोया नही रातों को जगकर,
मैं तकिये में आँसू छुपाना जानता हूँ ।
मुस्कुराने की नहीं आदत है हमको,
मुस्कुरा के ग़म छुपना जानता हूँ ।

Friday, 15 April 2011

दर्द


अपने दिल का हर दर्द बड़ा होता है;
दूसरे का हो, तो पराया होता है
कहते हैं, कोई कन्धा नहीं है रोने को;
क्या हमने भी साथ निभाया होता है

इश्क

अब मैं इश्क करता हूँ ज़र्रे ज़र्रे से;
हर जगह मुझको वही दिखता है
मैं तो फिर भी भूल जाता हूँ ;
पर वो मुझको याद रखता है
"I believe in my self because I believe in god, I believe in god because I believe in my self.

(मेरा मुझमे कुछ नाहि, जो होवत सो तोर)

मुझको गैर समझते रहना


मुझको तुम गैर समझते हो, समझते रहना;
तुमसे एक रिश्ता तो समझ में आएगा
तुम अगर कुछ भी नहीं समझोगे;
तो फिर क्या, खाक जीने में मजा आएगा

प्यास


उनकी आँखे तो एक समंदर है,
पर कितने मौसम की प्यास बैठी है
अपने सागर से मिलने को ,
कितनी ही नदियाँ उदास बैठी है

Thursday, 14 April 2011

एहसास


मुझे पता न था, कि हम इतने सताये होगे;
कल जो अपने थे, वही लोग पराये होगे।
जिन्दगी सिखा ही देती है, जीने का अदब;
क्या पता हमने, कितने गम-खाये होगे।

Wednesday, 13 April 2011

तन्हा


इतनी भीड मे भी तन्हा हू मै,
देख तेरे बगैर कितना तन्हा हू मै.
अब तो ये जानना भी मुश्किल है,
मै हू यहाँ, पर कहाँ हू मै.

Monday, 11 April 2011

मुक्तक

कितनी ही बातें तुझसे छुपा के बैठा हूँ,
एक नज़र तुझसे चुराके बैठा हूँ,
देखना तुझको मयस्सर होता है जमाने के बाद,
फिर भी तुझमें ही दिल लगाके बैठा हूँ।

Thursday, 10 March 2011

यकीनन यकीं है मुझे, मैं तुमपे ऐतबार करता हूँ;
न कर सकूँगा मगर मौत के आने के बाद।
tumhe bhi wada karke mukar jane ki aadat hai;
mujhe bhi aitbar karne ki kuch kam to nahi.
अगर होता इश्क का कही पैमाना कोई;
न होता जहाँ में फिर कही मैखाना कोई ।
मैं ढूढता फिरता हूँ तुम्हे जो इन गलियों में;
लोग कहते हैं होगा यहीं वो दीवाना कोंई।

Monday, 7 March 2011

maine socha wo samajh lega meri mohabbat ko;
per mujhe hi ab samajhna pada uski bewafai ko.
sochta hoon lag jaye ye dil kisi mahfim me magar;
darta hoon yad karke mahfil me uski ruswai ko.

Wednesday, 2 March 2011

unki akho me ek gahra samandar basta hai;
jinhone pyar ka matlab samjha hai.
ham to yun bhi bah gaye the waqt ke sath;
khusnaseeb hai unhone apna samjha hai।

Thursday, 24 February 2011

yahi wo baat hai jo ham kah gaye dil se;
warna baat aur bhi hain dabe hue mere seene me.
main akela hoon yun to bahut tanha hoon;
tujhse mil kar khush hon ye jajbat hain seene me।

door rahkar yun bhi to baat nahi banti,
tum bhi tnha hoge main bhi tanha.
kaun kahta hai ki khus hai samandar bhi,
samandarsamandar nahi dariya ke bina.

Tuesday, 22 February 2011

life


life is just what it is.

Difficult or easy is all our perception.

Its all relative, that is a judgment of human mind.

The best way is to accept the life, the way it comes and live it.

As some thing we have in life others don not have.

And some thing that others have we do not have.

We all curse it for something that we do not have.

but we forget to feel good and to thank to life for what we have.

It is all in a way that, we have life and we dont think that we breath every moment, we do not see our breathings.

but at the same time if we are going to die,

we will try to have breaths and then we know the value of it.

life teaches us in that way..............