Friday, 29 April 2011

तेरा प्यार


तेरे प्यार का है असर यही, मै खुद ही खुद का रहा नहीं,
अब उधार का हूँ मै ज़ी रहा, मेरी जिन्दगी मेरी ना रही

एहसास है तुम दूर हो, मै अकेला हूँ है पता मुझे,
एहसान है इन हवाओं का एक सदा सी तेरी है ला रही

मै अन्धेरों मे हूँ तुम्हे ढूँढता, तेरी रोशनी कि तलाश है,
मै यादों का शुकरग़ुजार हूँ, एक चिराग है जो जला रही

तू मुझको अब यूँ याद है कि खुद को भूला मै यहाँ,
जो तुझको यूँ मै ज़ी लिया, तो जीने की चाहत ना रही

4 comments:

  1. जो तुझको यूँ जी लिया ,जीने की चाहत ही ना रही ...
    इस तरह डूबा मेरा मै उस में !
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  2. उधार का हूँ मै ज़ी रहा, मेरी जिन्दगी मेरी ना रही ।
    ... tamam umra udhaar khaate mein hi gujar jati hai , bahut badhiyaa

    ReplyDelete
  3. मै अन्धेरों मे हूँ तुम्हे ढूँढता, तेरी रोशनी कि तलाश है,
    मै यादों का शुकरग़ुजार हूँ, एक चिराग है जो जला रही ।

    बहुत सुंदर भाव लिए आपकी अभिव्यक्ति प्रेम के उस स्वरूप को उजागर कर रही है जो उसमें डूब कर ही महसूस कर सकता है.

    ReplyDelete
  4. सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

    ReplyDelete