पथ का राही
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Friday, 22 April 2011
आँखे
तेरी आँखे , मेरी आँखे , सबकी आँखे सूनी है,
किसी का आँचल मिल जाए तो रातें जग जग रोनी है ।
एक अकेला मैं ही नहीं, हैं जाने कितने और यहाँ,
कुछ गम के, कुछ ख़ुशी के आंसू जिनकी आँखे रोनी हैं।
1 comment:
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
23 April 2011 at 00:52
NICE.
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NICE.
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