Thursday, 28 February 2013

माँ फिर से अपना आँचल कर दो



कितने सारे दर्द हैं
जिनको जीता हूँ
दुनिया कहती है
मैं बड़ा हो गया हूँ
खुश होता हूँ मैं
जब बच्चा होता हूँ
माँ फिर से अपना आँचल कर दो
माँ मुझ को फिर से बच्चा कर दो

12 comments:

  1. जब दुनिया ने किया किनारा।
    तब माँ मैंने तुम्हें पुकारा।।
    --
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी है!

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  2. हर शब्द की अपनी एक पहचान बहुत खूब क्या खूब लिखा है आपने आभार
    ये कैसी मोहब्बत है

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  3. बहुत सुंदर भावनायें .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

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    1. जी आपका बहुत बहुत आभार!!!
      दर असल मैं बहुत ज्यादे समाय ब्लॉगिंग को नहीं दे पता हूँ| इसी लिए बहुत ब्लोग्स को चाहते हुए भी विजिट नहीं कर पाता|
      फल स्वरुप मेरे भी ब्लॉग पर आने वाले लोगों की शंख्या कम है|
      परन्तु और कोई उपाय नहीं है|

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  4. यशवंत जी बहुत बहुत आभार!!!

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार निहार रंजन जी !!!

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  6. सुन्दर भावना!

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    1. बहुत बहुत आभार शालिनी जी !!!

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  7. सहृदय आभार ओंकार जी !!!

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