हमारे बाजार बड़े हुए हैं
खरीद फ़रोख़्त बढ़ गयी है
अब तो आदमी भी बिक रहा है
और उसका जमीर भी
सिक्के भारी होते थे
फिर भी नहीं खरीद पाते थे आदमी को
या कि उसके जमीर को
ये नया दौर है
वक़्त की तराजू में तौल दिए जाते है
हलके नोटों के बदले
हलके होते आदमी और उनका जमीर
वाह क्या बात है
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मनु जी !!!
Deleteबहुत खूब भाई ! बहुत खूब युग बदल गया है आदमी भी और हो गया है .
ReplyDeleteजी बहुत कष्टकारी है ये सब!!!
Deleteअच्छी कविता है
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