Wednesday, 24 March 2021

है दर्द-ए-दिल ज़ब्त मेरे दिल में जार-जार

है दर्द-ए-दिल ज़ब्त मेरे दिल में जार-जार,
धरती बँटी और बन गयी जैसे की एक दयार। 

मैं देखूँ तुम्हें पहले पहल की चाहने के बाद, 
चाँद को उतरना है, चश्म-ए-दिल के पार। 

वो सुर्ख़ियाँ बटोर कर बैठे हैं बेअसर, 
हम बदनाम हो गये, उन से कर की प्यार। 

कोई बता दे अब हमें, हम बैठें हैं किस दयार, 
जो अपना था कहाँ रहा वो होश अख़्तियार। 

मुसाफ़िर तुम्हें हम छोड़ तो दे अपनायेगा कौन, 
ख़ुद का न हो सका तो क्या हो विसाल-ए-यार।

Friday, 12 March 2021

मुस्कान


चेहरे की मुस्कान
जैसे उम्र को कम कर देती है
फिर वो तुम्हारे चेहरे पर हो या मेरे
हाँ, पर झूठी और फीकी न हो
हो तो उतना ही प्राकृतिक
जैसे फूलों का खिलना
या फिर जैसे इठलाती नदी जैसा
उसका तुम्हारे चेहरे पर मचल जाना
और जब कभी वह उतर आये आँखों में
तो लगे जैसे अनंत से हज़ारों तारों की चमक
एक साथ उतर आयी हो
मुस्कान में चार चाँद लगाने

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते अपने अपने सफ़र  रास्तों के काँटे अपने  अपने अपने दर्द अपनी अपनी मंज़िल अपना अपना दुख अपनी अपनी चाहते अपना अपना सुख सबकी अप...