Monday 10 May 2021

जीवन सफ़र

 सबके अपने रास्ते

अपने अपने सफ़र 

रास्तों के काँटे अपने 

अपने अपने दर्द


अपनी अपनी मंज़िल

अपना अपना दुख

अपनी अपनी चाहते

अपना अपना सुख


सबकी अपनी सोच 

सबकी अपनी राह

थकना हारना अपना 

जीत के सुख की चाह


अपना अपना जानना 

अपना अपना कर्म

अपना अपना जन्मना

अपनी अपनी मृत्यु

Wednesday 24 March 2021

है दर्द-ए-दिल ज़ब्त मेरे दिल में जार-जार

है दर्द-ए-दिल ज़ब्त मेरे दिल में जार-जार,
धरती बँटी और बन गयी जैसे की एक दयार। 

मैं देखूँ तुम्हें पहले पहल की चाहने के बाद, 
चाँद को उतरना है, चश्म-ए-दिल के पार। 

वो सुर्ख़ियाँ बटोर कर बैठे हैं बेअसर, 
हम बदनाम हो गये, उन से कर की प्यार। 

कोई बता दे अब हमें, हम बैठें हैं किस दयार, 
जो अपना था कहाँ रहा वो होश अख़्तियार। 

मुसाफ़िर तुम्हें हम छोड़ तो दे अपनायेगा कौन, 
ख़ुद का न हो सका तो क्या हो विसाल-ए-यार।

Friday 12 March 2021

मुस्कान


चेहरे की मुस्कान
जैसे उम्र को कम कर देती है
फिर वो तुम्हारे चेहरे पर हो या मेरे
हाँ, पर झूठी और फीकी न हो
हो तो उतना ही प्राकृतिक
जैसे फूलों का खिलना
या फिर जैसे इठलाती नदी जैसा
उसका तुम्हारे चेहरे पर मचल जाना
और जब कभी वह उतर आये आँखों में
तो लगे जैसे अनंत से हज़ारों तारों की चमक
एक साथ उतर आयी हो
मुस्कान में चार चाँद लगाने

Friday 8 January 2021

सफ़र में समान अधिक जो था उसे हटा रहा हूँ।

 वो मुझ से मेरे होने का सबब पूछता है,
मैं उस को ज़िंदगी के मायने समझा रहा हूँ।

वो मुझसे उलझ गया है कई सवालों पर,
मैं, प्यार का उस को इक एहसास दिला रहा हूँ।

मैं ठहरी निगाहों से उसे देखता हूँ,
वो मुझ से कह रहा है, मैं अब जा रहा हूँ।

वो जागते ख़्वाब में तनहा सा भटकता है, 
मैं ख़्वाबों नींद में भी साथ उस के जा रहा हूँ।

मुसाफ़िर रिश्तों को ढोने में अब रखा क्या है,
सफ़र में समान अधिक जो था उसे हटा रहा हूँ।

जीवन सफ़र

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