Friday, 10 July 2020

शास्वत प्रेम

प्रेम के इतर सारी भावनायें
तिरोहित हो जाती हैं
समय के साथ बचा रहता है प्रेम

शरीर तक ही सीमागत है
वासना
शरीर के सीमा में सब नश्वर है
प्रेम अनंत आकाश की सीमा में है 

शास्वत हमेशा हमेशा

4 comments:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    12/07/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. प्रेम शाश्वत है
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति

    ReplyDelete