Tuesday, 1 September 2015

प्रेम जीवंतता में अमर

प्रेम शब्द का
ठीक ही होगा
मन मस्तिष्क से सूख जाना
प्रेम जीवित होता है
अपनी जीवंतता में
परिभाषायें मृत कर देती है


एक गहरी सजगता में
जहाँ नही होता मन
मन मे उपजे विचार और तर्क
परिभाषायें मृत हो जाती है
और प्रेम उन्हीं पलों में 
जीवंत हो कर अमर हो जाता है
सदा के लिए, एक जीवंत अनुभव 

No comments:

Post a Comment