Wednesday, 1 April 2015

ख्वाब आँखों से जो छूटे

ख्वाब आँखों से जो छूटे;
तो मैं जगा हूँ अभी|

डूबता जाता हो दिल ये;
तो इरादा हूँ अभी|

आश खोजो जो दिल में;
तो मैं वादा हूँ अभी|

मय पी है, मोहब्बत नहीं;
तो मैं प्यासा हूँ अभी|

खोजो काली रात की ताक़त;
तो चाँद सा हूँ अभी|

मैं 'मुसाफिर' ही हूँ अभी;
तो रहजदा हूँ अभी|  

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