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Wednesday, 29 April 2015
Monday, 20 April 2015
एक ही शख्स है
एक ही शख्स है, इस दिल को दुखाने वाला,
और वही शख्स है, इस दिल को लुभाने वाला|
दूर रह कर कोई तकलीफ़ कहाँ देता है,
जख्म-ए-दिल देता है, कोई पास तक आने वाला|
मैं परेशान हूँ, या दिल है धड़कता यूँ ही,
ये समझता है, वही दिल तक करीब आने वाला|
ज़रा सम्हल के गिन ही लूँ मैं अपनी साँसें,
ये ठहर जाती है, जब भी होता है वो आने वाला|
तुम सरे राह 'मुसाफिर' ना करो यूँ तकरार,
ये मोहब्बत मिले जब दिल हो कोई चाहने वाला|
और वही शख्स है, इस दिल को लुभाने वाला|
दूर रह कर कोई तकलीफ़ कहाँ देता है,
जख्म-ए-दिल देता है, कोई पास तक आने वाला|
मैं परेशान हूँ, या दिल है धड़कता यूँ ही,
ये समझता है, वही दिल तक करीब आने वाला|
ज़रा सम्हल के गिन ही लूँ मैं अपनी साँसें,
ये ठहर जाती है, जब भी होता है वो आने वाला|
तुम सरे राह 'मुसाफिर' ना करो यूँ तकरार,
ये मोहब्बत मिले जब दिल हो कोई चाहने वाला|
Wednesday, 1 April 2015
ख्वाब आँखों से जो छूटे
ख्वाब आँखों से जो छूटे;
तो मैं जगा हूँ अभी|
डूबता जाता हो दिल ये;
तो इरादा हूँ अभी|
आश खोजो जो दिल में;
तो मैं वादा हूँ अभी|
मय पी है, मोहब्बत नहीं;
तो मैं प्यासा हूँ अभी|
खोजो काली रात की ताक़त;
तो चाँद सा हूँ अभी|
मैं 'मुसाफिर' ही हूँ अभी;
तो रहजदा हूँ अभी|
तो मैं जगा हूँ अभी|
डूबता जाता हो दिल ये;
तो इरादा हूँ अभी|
आश खोजो जो दिल में;
तो मैं वादा हूँ अभी|
मय पी है, मोहब्बत नहीं;
तो मैं प्यासा हूँ अभी|
खोजो काली रात की ताक़त;
तो चाँद सा हूँ अभी|
मैं 'मुसाफिर' ही हूँ अभी;
तो रहजदा हूँ अभी|