Monday, 20 April 2015

एक ही शख्स है

एक ही शख्स है, इस दिल को दुखाने वाला,
और वही शख्स है, इस दिल को लुभाने वाला|

दूर रह कर कोई तकलीफ़ कहाँ देता है,
जख्म-ए-दिल देता है, कोई पास तक आने वाला|

मैं परेशान हूँ, या दिल है धड़कता यूँ ही,
ये समझता है, वही दिल तक करीब आने वाला|

ज़रा सम्हल के गिन ही लूँ मैं अपनी साँसें,
ये ठहर जाती है, जब भी होता है वो आने वाला|

तुम सरे राह 'मुसाफिर' ना करो यूँ तकरार,
ये मोहब्बत मिले जब दिल हो कोई चाहने वाला|



Wednesday, 1 April 2015

ख्वाब आँखों से जो छूटे

ख्वाब आँखों से जो छूटे;
तो मैं जगा हूँ अभी|

डूबता जाता हो दिल ये;
तो इरादा हूँ अभी|

आश खोजो जो दिल में;
तो मैं वादा हूँ अभी|

मय पी है, मोहब्बत नहीं;
तो मैं प्यासा हूँ अभी|

खोजो काली रात की ताक़त;
तो चाँद सा हूँ अभी|

मैं 'मुसाफिर' ही हूँ अभी;
तो रहजदा हूँ अभी|