पत्ते गिरते हैं पेड़ से
फिर से नये आते हैं
फूल मुरझाते हैं
नयी कोपलें फिर आती हैं
सागर में लहरें उठती हैं
और फिर सागर में मिल जाती हैं
हवायें सागर को स्पर्श करती हैं
और दूर निकल जातीं हैं
पत्तें, फूल, लहरें, हवायें
कोई कारण नहीं ढूढ़ते
यही उनका प्रेम है प्रकृति को
'प्रेम' घटित होता है ऐसे ही अकारण
बहुत खूबसूरत!!!!
ReplyDeleteप्रेम घटित होता है यूँ ही...अकारण...बेवजह....
वाह ...
अनु
आभार !!!
DeleteHAPPY VALENTINE'S DAY ,,I COMMENTED CHECK SPAM
ReplyDeleteI wish same to you too
Deleteशुक्रिया आपकी टिपण्णी का .शुभ हो वसंत का हर दिन .
ReplyDeleteहाँ प्रेम होता है ,बस होता है,
ReplyDeleteकोई हंसता है कोई रोता है .
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .