Monday, 11 February 2013

'प्रेम' घटित होता है














पत्ते गिरते हैं पेड़ से
फिर से नये आते हैं

फूल मुरझाते हैं
नयी कोपलें फिर आती हैं

सागर में लहरें उठती हैं
और फिर सागर में मिल जाती हैं

हवायें सागर को स्पर्श करती हैं
और दूर निकल जातीं हैं

पत्तें, फूल, लहरें, हवायें
कोई कारण नहीं ढूढ़ते

यही उनका प्रेम है प्रकृति को
'प्रेम' घटित होता है ऐसे ही अकारण

6 comments:

  1. बहुत खूबसूरत!!!!
    प्रेम घटित होता है यूँ ही...अकारण...बेवजह....

    वाह ...
    अनु

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  2. HAPPY VALENTINE'S DAY ,,I COMMENTED CHECK SPAM

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  3. शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .शुभ हो वसंत का हर दिन .

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  4. हाँ प्रेम होता है ,बस होता है,

    कोई हंसता है कोई रोता है .

    शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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