Thursday, 1 November 2012

कवितायें 'अज्ञेय' की

कवितायें 
'अज्ञेय' की
समझ नहीं आता
या कि मैं समझना नहीं चाहता
कि बुद्धि के स्तर पर समझते हुए
कहीं छूट न जाये उनका मर्म
क्यों कि कोई रास्ता नहीं है
बुद्धि से हृदय तक.

10 comments:

  1. करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाओं के साथ आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (03-11-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!

    ReplyDelete
  2. आभार!!!
    प्रणाम

    ReplyDelete
  3. हृदयस्पर्शी ..... सीमित शब्द पर कितनी गहरी बात

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार मोनिका जी!!!

      Delete

  4. सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई

    ReplyDelete
  5. सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई
    जो बूझा न जा सके वही तो है अ -ज्ञेय
    निज भाषा उन्नति अहो ,सब उन्नति को मूल ,

    बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को

    ReplyDelete

  6. जो बूझा न जा सके वही तो है अ -ज्ञेय

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बिलकुल सही कहा आपने.

      Delete
  7. Replies
    1. बहुत बहुत आभार संजय जी !!!

      Delete